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धर्म क्या है ?

 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था, युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी!  गिद्ध, कुत्ते, सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में द्वापर का सबसे महान योद्धा "देवव्रत" (भीष्म पितामह) शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था -- अकेला..! तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची , "प्रणाम पितामह"!! भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी,बोले, आओ देवकीनंदन.. स्वागत है तुम्हारा!! मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था !! कृष्ण बोले!! क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप? भीष्म चुप रहे,  कुछ क्षण बाद बोले, पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव?  उनका ध्यान रखना,परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है!! कृष्ण चुप रहे ...! भीष्म ने पुनः कहा , कुछ पूछूँ केशव?   बड़े अच्छे समय से आये हो !   सम्भव